सरकार, ऑटो इंडस्ट्री BS-6 फ्यूल और वाहन पेश करने को तैयार, जानें क्या हैं इसके फायदे

सरकार और ऑटो इंडस्ट्री (auto industry) एक अप्रैल 2020 की समयसीमा के भीतर भारत-चरण-6 (BS6) मानक वाले ईंधन और वाहन उतारने को लेकर पूरी तरह तैयार हैं. ये बात अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट की अधिकार प्राप्त प्रदूषण नियंत्रण समिति को बताई.

भारत चरण उत्सर्जन मानक नियमन हैं, जिसका मकसद मोटर वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर लगाम लगाना है. बीएस-6 या भारत चरण-6 नया उत्सर्जन मानक है, जिसे देश के सभी वाहनों को अपनाना होगा. बीएस-6 ईंधन लागू करने और उसके अनुकूल वाहनों को लेकर तैयारी की समीक्षा बैठक के दौरान पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारियों ने ईपीसीए (पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण) को बताया कि बीएस-6 ईंधन एक अप्रैल से उपलब्ध होगा.

ईपीसीए की सदस्य सुनीता नारायण ने कहा, 'ऑटो इंडस्ट्री ने ईपीसीए से कहा है कि उन्होंने समयसीमा के भीतर काम पूरा करने के लिए काफी प्रयास किया है. मॉडल पहले ही पेश किए जा चुके हैं. कुछ अन्य मॉडल को जल्द ही पेश किया जाएगा.' नारायण ने कहा, 'बीएस-4 ईंधन मानक वाले वाहनों का पंजीकरण एक अप्रैल को बंद कर दिया जाएगा. ये अंतिम समय सीमा है.' उधर पेट्रोलियम मंत्रालय ने समिति से कहा है कि वह एक अप्रैल से पूरे देश में बीएस-6 मानक वाले ईंधन की आपूर्ति के लिए तैयार हैं.


 


क्या होता है ये बीएस
बीएस का मतलब है भारत स्टेज. इसका संबंध उत्सर्जन मानकों से है. इन्हें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तय करता है. भारत सरकार ने वर्ष 2000 से बीएस उत्सर्जन मानक की शुरुआत की थी. भारत स्टेज यानि भारत स्टैंडर्ड मानदंड यूरोपीय नियमों पर आधारित है.

क्या हैं बीएस-6 के फायदे- हवा में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी
- हवा में जहरीले तत्व कम हो सकेंगे जिससे सांस लेने में सुविधा होगी
-बीएस 4 के मुकाबले बीएस 6 में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ काफी कम होंगे


- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड,कार्बन मोनोऑक्साइड,सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में बीएस 6 ग्रेड का डीजल काफी अच्छा होगा.
- बीएस -4 और बीएस-3 फ्यूल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम होती है...जो बीएस 6 मानकों में घटकर 10 पीपीएम रह जायेगा यानि की अभी के स्तर से 80 फीसदी कम.